त्वचा का स्वास्थ्य तथा सौंदर्य बनाए रखने के लिए पांच मौलिक सिद्धांत - To maintain the health and beauty of skin Five fundamental principles
     आप की त्वचा कैसी भी हो, यदि आप उसे साफ, स्वस्थ, कांतिमय व झुर्रियों रहित बनाना चाहती है तो आपको निम्न पांच मौलिक सिद्धांतों का नियम से पालन करना होगा।
क्लीन्जिंग
टोनिंग
माॅइश्चराइजिंग
नरिशिंग
फर्मिंग
     इस अध्याय में हम आपको इन सिद्धांतों के महत्व तथा इनमें प्रयोग होने वाली जड़ी-बूटियों पर आधारित प्राकृतिक सामग्री बनाने का तरीका समझाएंगे।
क्लीन्जिंग
     सुन्दरता का आधार स्वस्थ त्वचा है- तथा स्वस्थ त्वचा का रहस्य उसे साफ रखना है। सफाई करने से त्वचा के दूषित तत्व बाहर आ जाते हैं। रोम-कूप खुल जाते हैं तथा रक्त संचार ठीक हो जाता है। यदि त्वचा की नियमित रूप से सावधानीपूर्वक सफई न की जाए तो उसमें दोष उत्पन्न हो सकते हैं। अब प्रश्न यह उठता है, त्वचा की सफाई किस प्रकार करें?
     त्वचा की सफाई के लिए साबुन तथा पानी से नहाना-धोना एक साधारण क्रिया है। हालांकि यह विवाद का ही विषय रहा है कि साबुन त्वचा को हानि पहुंचाता है, परंतु यह विवाद आज सत्य प्रतीत नहीं होता, क्योंकि आज अच्छे साबुन के निर्माण में लैनोलिन तथा अन्य तेलों का प्रयोग होता है। ऐसे साबुन के प्रयोग से त्वचा पर सूखापन नहीं आता है।
     साबुन के प्रयोग के अतिरिक्त त्वचा की गहरी सफाई करने के लिए भाप या गर्म तौलिए का प्रयोग भी किया जाता है। यह क्रिया सभी प्रकार की त्वचा, विशेषकर तैलीय त्वचा के लिए अत्यंत लाभप्रद है। परंतु यदि आपकी त्वचा अत्यधिक शुष्क है तो स्टीमिंग द्वारा त्वचा की सफाई न करें।
     भाप लेने के लिए गर्म तौलिया चेहरे पर आंख, नाक तथा मुंह को छेड़कर रखा जाता है। 10 या 15 मिनट के पश्चात तौलिया ठण्डा हो जाने पर दूसरा गर्म तौलिया प्रगोग किया जाता है। सम्पूर्ण चेहरे पर भाप लेने के लिए किसी चैड़े बर्तन में जड़ी-बूटियां मिश्रित गर्म पानी भर कर सिर को तौलिये से ढककर बर्तन पर इस प्रकार झुक जाएं जिससे गर्म पानी का बर्तन भी ढक जाए। इस प्रकार भाप लेने से त्वचा के रोम-कूप खुल जाते हैं और त्वचा की भीतर तक सफाई हो जाती है। त्वचा की सफाई के लिए आप प्राकृतिक क्लीन्जर्स का भी प्रयोग कर सकती हैं। यह न केवल त्वचा की भीतर तक सफाई करते हैं बल्कि त्वचा पर कोई बुरा असर भी नहीं डालते हैं।
प्राकृतिक क्लीन्जर बनाने की विधियां
टोनिंग
     यह त्वचा के स्वास्थ्य का दूसरा सिद्धांत है। त्वचा की अच्छी प्रकार सफाई के पश्चात टोनिंग करने से खुले हुए रोम छिद्र बन्द हो जाते हैं तथा त्वचा पर निखार आता है। त्वचा में ताजगी तथा ठण्डक महसूस होती है अैर तेल स्नाव संतुलित हो जाता है।
     स्किन फ्रेशनर्स, स्किल टोनर्स तथा एस्ट्रिन्जेंट जैसे स्किन टाॅनिक त्वचा को केवल निखारते ही नहीं बल्कि उस में जीम चिकनाई इत्यादि हटाकर उसे साफ भी करते हैं। एस्ट्रिन्जेंट लोशन क्लीन्जिंग के पश्चात लगाने पर त्वचा के रोम-कूपों को बंद कर देते हैं तथा अतिक्ति चिकनाई हटाकर त्वचा के दाग-धब्बे तथा काले मस्से आदि भी कम करते हैं।
     उपरोक्त सभी टाॅनिक साान्यता जड़ी-बूटियों, जैसे संतरे के फूलों, तुलसी, एल्डर फ्लावर आदि से तैयार किये जाते हैं। अनेकों फलों तथा सब्जियों में भी त्वचा को निखारने तथा पुष्ट करने के गुण होते हैं। शुष्क तथा सामान्य त्वचा के लिए अल्कोहल रहित स्किन टाॅनिक उत्तम है। अल्कोहल मिश्रित लोश्न केवल चिकनी त्वच पर लगाए जाने चाहिए। अल्कोहल की मात्रा अधिक होने के कारण चिकनी त्वचा पर शुष्कता आती है। सफाई के बाद मेकअप करने से पहले स्किन टोनर या एस्ट्रिन्जेंट लोशन लगाने से रोम-कूप बंद होते हैं तथा त्वचा पर रक्षात्मक परत सी आ जाती है। ये उस स्थिति में अधिक प्रभावकारी होते हैं जब त्वचा पर गर्मी के कारण पसीना आता है। ऐसी स्थिति में टोनर के एस्ट्रिन्जेंट त्वचा पर सूखापन लाते हैं तथा रोम-कूपों को निर्मलता प्रदान करते हैं।
प्राकृतिक स्किन टाॅनिक तैयार करने की कुछ विधियां
माॅइश्चराइजिंग
     यह त्वचा के स्वास्थ्य का तीसरा सिद्धांत है। त्वचा की सफाई और टोनिंग के पश्चात माॅइश्चराइजिंग करना अति आवश्यक है। माइश्चराइजिंग से त्वचा की शुष्कता दूर होती है तथा नमी बढ़ती है, जिसे त्वचा चिकनी चमकदार तथा सिनगध होती है।
प्राकृतिक माॅइश्चाराइजिंग क्रीम बनाने की विधियां
नरिशिंग
     ये त्वचा के स्वास्थ्य के लिए चैथा सिद्धांत है। त्वचा की लचक, कोमलता तथा निखार बनाए रखने के लिए नरिशिंग क्रीम का प्रयोग अतिआवश्यक है। इससे त्वचा का पोषण होता है तथा अनावश्यक झुर्रियां दूर होती है।
प्राकृतिक नरिशिंग क्रीम बनाने की विधियां
फर्मिंग
     यह त्वचा के स्वास्थ्य के लिए अंतिम सिद्धांत है। फर्मिंग का तात्पर्य त्वच पर कसाव लाने से है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मालिश और फेस मास्क का प्रयोग किया जाता है।
मास्क बनाने की विधियां